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Showing posts from January, 2023

आज की मुरली 07-01-2023

07-01-2023 प्रातह मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - तुम्हें बाप द्वारा बाप की लीला अर्थात् ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त का ज्ञान मिला है, तुम जानते हो अब यह नाटक पूरा होता है, हम घर जाते हैं'' प्रश्नः- स्वयं को बाप के पास रजिस्टर कराना है तो उसके लिए कौनसा कायदा है? उत्तर:- बाप के पास रजिस्टर होने के लिए 1- बाप पर पूरा पूरा बलि चढ़ना पड़ता। 2-अपना सब कुछ भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा में सफल करना होता। 3- सम्पूर्ण निर्विकारी बनने का कसम उठाना पड़ता और फिर रहकर भी दिखाना होता। ऐसे बच्चों का नाम आलमाइटी गवर्मेन्ट के रजिस्टर में आ जाता है। उन्हें नशा रहता कि हम भारत को स्वर्ग वा राजस्थान बना रहे हैं। हम भारत की सेवा के लिए बाप पर बलि चढ़ते हैं। गीत:- ओम् नमो शिवाए..... ओम् शान्ति। जिसकी महिमा में यह गीत है वही बैठकर अपने रचना की महिमा सुनाते हैं। जिसको लीला भी कहा जाता है। लीला कहा जाता है नाटक को और महिमा होती है गुणवान की। तो उनकी महिमा सबसे न्यारी है। मनुष्य तो जानते नहीं। बच्चे जानते हैं कि उस परमपिता परमात्मा का ही इतना गायन है जिसकी शिव जयन्ती भी अब नज...

आज की मुरली 05-01-2023

05-01-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - भक्तों पर जब भीड़ पड़ी है, विपदा आई है तब बाप आये हैं, ज्ञान से गति सद्गति करने'' प्रश्नः- विकर्माजीत कौन बनते हैं? विकर्माजीत बनने वालों की निशानी क्या होगी? उत्तर:- विकर्माजीत वही बनते जो कर्म-अकर्म और विकर्म की गति को जान श्रेष्ठ कर्म करते हैं। विकर्माजीत बनने वाले कभी भी कर्म कूटते नहीं। उनके कर्म विकर्म नहीं बनते। प्रश्नः- इस समय बाप डबल सर्विस कौन सी करते हैं? उत्तर:- आत्मा और शरीर दोनों को पावन भी बनाते और फिर अपने साथ वापस घर भी ले जाते हैं। चरित्र एक बाप के हैं। मनुष्यों के हो नहीं सकते। गीत:- ओम् नमो शिवाए... ओम् शान्ति। यह गीत बच्चों ने सुना। जो भी भक्ति मार्ग वाले हैं, वह ऐसे गीत गाते हैं। घोर अन्धियारे से उजियारा चाहते हैं और दुख से छूटने की पुकार करते रहते हैं। तुम तो हो शिव वंशी ब्रह्माकुमार कुमारियां। यह तो समझने की बात है। इतने बच्चे कुख वंशावली तो हो नहीं सकते। जरूर मुख वंशावली होंगे। श्रीकृष्ण को इतनी रानियां अथवा बच्चे नहीं थे। गीता का भगवान तो राजयोग सिखलाते हैं, तो जरूर मुख व...

आज की मुरली 04-01-2023

04-01-2023 प्रातह मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - तुम मोती चुगने वाले हंस हो, तुम्हारी है हंसमण्डली, तुम लकी सितारे हो, क्योंकि स्वयं ज्ञान सूर्य बाप तुम्हें सम्मुख पढ़ा रहे हैं'' प्रश्नः- बाप ने सभी बच्चों को कौन सी रोशनी दी है, जिससे पुरुषार्थ तीव्र हो गया? उत्तर:- बाप ने रोशनी दी, बच्चे अब इस ड्रामा की अन्त है, तुम्हें नई दुनिया में चलना है। ऐसे नहीं जो मिलना होगा वह मिलेगा। पुरुषार्थ है फर्स्ट। पवित्र बनकर औरों को पवित्र बनाना, यह बहुत बड़ी सेवा है। यह रोशनी आते ही तुम बच्चों का पुरुषार्थ तीव्र हो गया। गीत:- तू प्यार का सागर है... ओम् शान्ति। बच्चे जानते हैं कि प्यार का सागर, शान्ति का सागर, आनन्द का सागर बेहद का बाप सम्मुख बैठ हमको शिक्षा दे रहे हैं। कितने लकी सितारे हैं, जिनको सम्मुख ज्ञान सूर्य बाप पढ़ा रहे हैं। अब जो बगुला मण्डली थी, वह हंस-मंडली बन गई है। मोती चुगने लग गये हैं। यह भाई-बहन सब हैं हंस, इनको हंस मण्डली भी कहा जाता है। कल्प पहले वाले ही इस समय, इस जन्म में एक दो को पहचानते हैं। रूहानी पारलौकिक माँ बाप और भाई बहन आपस में एक दो...

आज की मुरली 03-01-2023

03-01-2023 प्रातह मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - यह सृष्टि वा जमाना दुख का है इससे नष्टोमोहा बनो, नये जमाने को याद करो, बुद्धियोग इस दुनिया से निकाल नई दुनिया से लगाओ'' प्रश्नः- कृष्णपुरी में चलने के लिए तुम बच्चे कौन सी तैयारी करते और कराते हो? उत्तर:- कृष्णपुरी में चलने के लिए सिर्फ इस अन्तिम जन्म में सब विकारों को छोड़ पावन बनना और दूसरों को बनाना है। पावन बनना ही दुखधाम से सुखधाम में जाने की तैयारी है। तुम सबको यही सन्देश दो कि यह डर्टी दुनिया है, इससे बुद्धियोग निकालो तो नई सतयुगी दुनिया में चले जायेंगे। गीत:- मुझको सहारा देने वाले.... ओम् शान्ति। इस गीत में बच्चे कहते हैं कि बाबा। बच्चों की बुद्धि चली जाती है बेहद के बाप तरफ। जिन बच्चों को अब सुख मिल रहा है अथवा सुखधाम का रास्ता मिल रहा है। समझते हैं बरोबर बाप स्वर्ग के 21 जन्मों का सुख देने आया है। इस सुख की प्राप्ति के लिए स्वयं बाप आकर शिक्षा दे रहे हैं। समझा रहे हैं कि यह जो जमाना है अर्थात् इतने जो मनुष्य हैं वे कुछ भी दे नहीं सकते हैं। यह तो सब रचना है ना। आपस में भाई-बहन हैं। तो रचना...

आज की मुरली 02-01-2023

02-01-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “ मीठे बच्चे - तुम राजऋषि हो , तुम्हें बेहद का बाप सारी पुरानी दुनिया का संन्यास सिखलाते हैं जिससे तुम राजाई पद पा सको '' प्रश्नः- इस समय किसी भी मनुष्य के कर्म अकर्म नहीं हो सकते हैं, क्यों? उत्तर:- क्योंकि सारी दुनिया में माया का राज्य है। सबमें 5 विकार प्रवेश हैं इसलिए मनुष्य जो भी कर्म करते हैं, वह विकर्म ही बनता है। सतयुग में ही कर्म अकर्म होते हैं क्योंकि वहाँ माया होती नहीं। प्रश्नः- किन बच्चों को बहुत अच्छी प्राइज़ मिलती है? उत्तर:- जो श्रीमत पर पवित्र बन अन्धों की लाठी बनते हैं। कभी 5 विकारों के वश हो कुल कलंकित नहीं बनते, उन्हें बहुत अच्छी प्राइज़ मिल जाती है। अगर कोई बार-बार माया से हार खाते हैं तो उनका पासपोर्ट ही कैन्सिल हो जाता है। गीत:- ओम् नमो शिवाए... ओम् शान्ति। सबसे ऊंच है परमपिता परमात्मा अर्थात् परम आत्मा। वह है रचयिता। पहले ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को रचते हैं फिर आओ नीचे अमरलोक में, वहाँ है लक्ष्मी-नारायण का राज्य। सूर्यवंशी का राज्य, चन्द्रवंशी का नहीं है। यह कौन समझा रहे हैं? ज्ञान का सागर...