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Showing posts from December, 2022

आज की मुरली 01-01-2023

01-01-2023 प्रात: मुरली ओम् शान्ति 26.03.93 "बापदादा" मधुबन अव्यक्त वर्ष में लक्ष्य और लक्षण को समान बनाओ आज निराकारी और आकारी बापदादा सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण आत्माओं को आकार रूप से और साकार रूप से देख रहे हैं। साकार रूप वाली आप सभी आत्मायें भी बाप के सम्मुख हो और आकारी रूपधारी बच्चे भी सम्मुख हैं। दोनों को बापदादा देख हर्षित हो रहे हैं। सभी के दिल में एक ही संकल्प है, उमंग है कि हम सभी बाप समान साकारी सो आकारी और आकारी सो निराकारी बाप समान बनें। बापदादा सभी के इस लक्ष्य और लक्षण को देख रहे हैं। क्या दिखाई दिया? मैजॉरिटी का लक्ष्य बहुत अच्छा दृढ़ है लेकिन लक्षण कभी दृढ़ हैं, कभी साधारण हैं। लक्ष्य और लक्षण में समानता आना, यह निशानी है समान बनने की। लक्ष्य धारण करने में 99 प्रतिशत भी कोई हैं, बाकी नम्बरवार हैं। लेकिन सदा, सहज और नेचुरल नेचर में लक्षण धारण करने में कहाँ तक हैं, इसमें मेनॉरिटी 90 प्रतिशत तक हैं, बाकी और नम्बरवार हैं। तो लक्ष्य और लक्षण में और लक्षण को भी नेचुरल और नेचर बनाने में अन्तर क्यों है? समय प्रमाण, सरकमस्टांश प्रमाण, समस्या प्रमाण कई बच्चे पुरु...

आज की मुरली 31-12-2022

31-12-2022 प्रातह मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - तुम्हें शिव जयन्ति का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाना है। यह तुम्हारे लिए बहुत बड़ा खुशी का दिन है, सबको बाप का परिचय देना है'' प्रश्नः- कौन से बच्चे अपना बहुत बड़ा नुकसान करते हैं? घाटा कब पड़ता है? उत्तर:- जो बच्चे चलते-चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं, वे अपना बहुत बड़ा नुकसान करते हैं। बाबा रोज़ इतने हीरे रत्न देते हैं, गुह्य पाइंटस सुनाते हैं, अगर कोई रेगुलर नहीं सुनते हैं तो घाटा पड़ जाता है। नापास हो जाते हैं, स्वर्ग की ऊंची बादशाही गंवा देते हैं। पद भ्रष्ट हो जाता है। गीत:- रात के राही थक मत जाना... ओम् शान्ति। यह रात और दिन मनुष्यों के लिए हैं। शिवबाबा के लिए रात और दिन नहीं है। यह तुम बच्चों के लिए है, मनुष्यों के लिए है। ब्रह्मा की रात ब्रह्मा का दिन गाया जाता है। शिव का दिन, शिव की रात ऐसे कभी नहीं कहा जाता है। सिर्फ एक ब्रह्मा भी नहीं कहा जायेगा। एक की रात नहीं होती है। गाया जाता है ब्राह्मणों की रात। तुम जानते हो अभी है भक्ति मार्ग का अन्त, साथ-साथ घोर अन्धियारे का भी अन्त है। बाप कहते हैं - मैं...

आज की मुरली 29-12-2022

29-12-2022 प्रातह मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन मीठे बच्चे - कोई कितना भी गुणवान हो, मीठा हो, धनवान हो तुम्हें उसकी तरफ आकर्षित नहीं होना है, जिस्म को याद नहीं करना है प्रश्नः- जिन बच्चों को नॉलेज मिली है उनके मुख से बाप के प्रति कौन से मीठे बोल निकलते हैं? उत्तर:- ओहो! बाबा आपने तो हमें जीवनदान दे दिया। मीठे बाबा आपने हमें सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज देकर, सर्व दुखों से छुड़ा दिया तो कितनी शुक्रिया निकलनी चाहिए। प्रश्नः- अन्त के समय बाप के सिवाए किसी में भी रंग न जाए उसके लिए क्या करना है? उत्तर:- बाबा कहते हैं बच्चे - कोई भी चीज़ लोभ के वश अपने पास एक्स्ट्रा नहीं रखनी है। एक्स्ट्रा रखेंगे तो उसमें रंग जायेगी। बाप की याद भूल जायेगी। गीत:- धीरज धर मनुवा..... ओम् शान्ति। बच्चों को धीरज कौन दे रहा है? बच्चों की बुद्धि झट बेहद के बाप तरफ चली जाती है। सो भी सिर्फ इस समय ही तुम बच्चों की बुद्धि जाती है। यूँ तो बेहद बाप की तरफ बहुतों की बुद्धि जाती है। परन्तु उन्हीं को ये मालूम ही नहीं है कि यह संगमयुग है। बाप आया हुआ है, सबको एक ही बार पता तो नहीं पड़ सकता। बच्चे ब...

आज की मुरली 27/12/2022

27-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - तुम्हें अभी ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है, तुम जानते हो हर 5 हजार वर्ष बाद भोलानाथ बाप द्वारा हम यह ज्ञान सुनकर मनुष्य से देवता बनते हैं'' प्रश्नः- ज्ञान की धारणा न होने का मुख्य कारण क्या है? उत्तर:- बुद्धि भटकती है, एक के साथ पूरा योग नहीं है। देही-अभिमानी नहीं बने हैं इसलिए धारणा नहीं होती है। बाबा कहते बच्चे, फैमिलियरटी में नहीं आओ। एक दो के नाम-रूप को मत याद करो। एक बाप दूसरा न कोई - यह पाठ पक्का कर लो, दूसरों के पिछाड़ी न पड़ो। बाप से राय लेते रहो, इससे तुम दुख से लिबरेट हो जायेंगे। धारणा भी अच्छी होगी। गीत:- भोलेनाथ से निराला.... ओम् शान्ति। भोलानाथ है देने वाला। भोलानाथ शिवबाबा को तो कहते ही हैं। भोलानाथ होकर गया है और बरोबर बिगड़ी बनाकर गया है। आदि-मध्य-अन्त का राज़ बताकर गया है, इसलिए भगत गाते हैं। तुम बच्चे जानते हो जिस भोलानाथ का गायन है, जो बिगड़ी को बनाने वाला है, वह हमारे सम्मुख बैठा है। भगत भगवान को याद करते हैं, उनकी महिमा गाते हैं और बाप अपना पार्ट बजा रहे हैं। बाप ने ही आकर अपना पर...

आज की मुरली 23-12-2022

23-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - याद में बैठते समय आंखे खोलकर बैठो क्योंकि तुम्हें खाते-पीते, चलते-फिरते बाप की याद में रहना है'' प्रश्नः- भगवान को ढूँढने के लिए मनुष्य दर-दर धक्के क्यों खाते हैं - कारण ? उत्तर:- क्योंकि मनुष्यों ने भगवान को सर्वव्यापी कह बहुत धक्के खाए हैं। सर्वव्यापी है तो कहाँ से मिलेगा? फिर कह देते हैं परमात्मा तो नाम-रूप से न्यारा है। जब नाम-रूप से ही न्यारा है तो मिलेगा फिर कैसे और ढूँढेंगे किसको? इसलिए दर-दर धक्के खाते रहते हैं। तुम बच्चों का भटकना अब छूट गया। तुम निश्चय से कहते हो - बाबा परमधाम से आये हैं। हम बच्चों से इन आरगन्स द्वारा बात कर रहे हैं। बाकी नाम-रूप से न्यारी कोई चीज़ होती नहीं। ओम् शान्ति। मीठे-मीठे बच्चे बाप की याद में बैठे हैं। यह किसने कहा और किसको? सभी आत्माओं के बाप ने अपने बच्चों, आत्माओं से बोला। आत्माओं ने आरगन्स से सुना कि बाबा ने क्या कहा? बाप ने कहा, अपने बाप को याद करते हो? बाप को याद करने के लिए क्या आंखें बन्द करनी होती हैं? बच्चे जब बाप को याद करते हैं तो आंखे तो खुली हुई होती ...

आज की मुरली 22-12-2022

22-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - देह-अंहकार छोड़ देही-अभिमानी बनो, अपने कल्याण के लिए याद का चार्ट नोट करो, खास याद में बैठो, याद से ही विकर्म विनाश होंगे'' प्रश्नः- बाप ने तुम बच्चों को पहला-पहला कायदा कौन सा सुनाया है? उत्तर:- पहला कायदा है - सब कुछ देखते हुए बुद्धि चलायमान न हो। एक बाप की याद रहे। अपनी परीक्षा लेनी है कि मेरी वृत्ति देखने से खराब तो नहीं होती है? तुम्हें हाथ से काम करते दिल से बाप को याद करना है, इसमें आंखे बन्द करने की बात ही नहीं है। ओम् शान्ति। भक्ति मार्ग में अक्सर करके कोई संन्यासी आदि जब बैठते हैं तो ऑखें बन्द करके बैठते हैं। यहाँ कायदा है देखते हुए भी चलायमान नहीं होना है। अपनी परीक्षा लेनी होती है कि देखने से मेरी वृत्ति खराब तो नहीं होती है? हम भल देखते हैं परन्तु बुद्धि का योग बाप के साथ है। मनुष्य भोजन बनायेंगे तो ऑखें बन्द करके तो नहीं बनायेंगे ना। इसको कहा जाता है हथ कार डे दिल यार डे। कर्मेन्द्रियों से काम लेते रहो परन्तु याद बाप को करो। जैसे स्त्री पति के लिए भोजन बनाती है। हाथ से काम करती रहेगी पर...

आज की मुरली 21-12-2022

21-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - तुम सभी मनुष्य मात्र के कल्याणकारी हो, तुम्हें बहुतों का कल्याण करना है, अशरीरी बनने के अभ्यास के साथ-साथ सर्विस भी जरूर करनी है'' प्रश्नः- किस एक बात में बाप भी ड्रामा की भावी कह चुप हो जाते हैं? उत्तर:- बच्चे, जो बहुत समय तक बाप की पालना ले फिर माया के वश हो जाते हैं। शादी कर कहाँ का कहाँ चले जाते हैं। आश्चर्यवत भागन्ती हो जाते हैं तो बाप ड्रामा की भावी कह चुप हो जाते हैं। बाप जानते हैं यह भी यज्ञ में विघ्न पड़ते हैं। बाप को ओना रहता है बच्चे, कहाँ किसी के नाम-रूप में नहीं फंस जायें। माया बहुत विघ्न डालती है इसलिए बाबा राय देते हैं बच्चे, तुम्हें माया से डरना नहीं है। बाप की याद से विजयी बनना है। ओम् शान्ति। मीठे-मीठे बच्चे जानते हैं कि हम बाप और दादा के सामने बैठे हैं। हर एक बात नई है और याद करना है श्रीमत पर एक ही बाप को। बाप श्रीमत देते हैं दादा के तन द्वारा। घड़ी-घड़ी बच्चों को सावधानी मिलती है कि मनमनाभव अर्थात् बाप को याद करो। इस दादा को याद नहीं करना है। दादा की आत्मा भी बाप को याद करती है त...

आज की मुरली 20/12/2022

20-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन “मीठे बच्चे - तुम्हें खुशी होनी चाहिए कि हम अभी यह दुनिया, यह सब कुछ छोड़ अपने घर शान्तिधाम जायेंगे फिर सुखधाम में आयेंगे'' प्रश्नः- इस नाज़ुक रास्ते में निरन्तर आगे बढ़ने के लिए कौन सी खबरदारी जरूर रखनी है? उत्तर:- कभी भी कोई व्यर्थ वा शैतानी बातें सुनाये तो उसका मित्र नहीं बनो। हाँ जी करके ग्लानी की बातें सुनना माना बाप का नाफरमानबरदार बनना, इसलिए रहमदिल बन उसकी आदत को मिटाना है। बाप का फरमानबरदार बनना है। ज्ञान का सुरमा पहन लेना है। यही बहुत नाज़ुक रास्ता है जिसमें खबरदार होकर चलने से ही आगे बढ़ते रहेंगे। गीत:- इस पाप की दुनिया से... ओम् शान्ति। मीठे बच्चे अब तुम समझदार बने हो और फील करते हो कि पहले हम कितने बेसमझ थे। यह भी समझ में नहीं आता था कि यह पतित दुनिया है और इसी भारत में जब देवी देवताओं का राज्य था तो पावन सुखी थे। उसमें कोई दु:ख की बात नहीं थी। परन्तु यह भी निश्चय नहीं होता था कि स्वर्ग में सदैव सुख होगा। स्वर्ग का किसको पता नहीं था। मनुष्य तो समझते हैं वहाँ भी दु:ख था। यह है बेसमझी। अब तुम बच्चे समझ...

आज की मुरली 18/12/2022

18-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 18.02.93 "बापदादा" मधुबन ब्राह्मण जीवन का श्वांस - सदा उमंग और उत्साह आज त्रिमूर्ति शिव बाप सर्व बच्चों को विशेष त्रि-सम्बन्ध से देख रहे हैं। सबसे पहला प्यारा सम्बन्ध है सर्व प्राप्तियों के मालिक वारिस हो, वारिस के साथ ईश्वरीय विद्यार्थी हो, साथ-साथ हर कदम में फालो करने वाले सतगुरू के प्यारे हो। त्रिमूर्ति शिव बाप बच्चों के भी यह तीन सम्बन्ध विशेष रूप में देख रहे हैं। वैसे तो सर्व सम्बन्ध निभाने की अनुभवी आत्मायें हो लेकिन आज विशेष तीन सम्बन्ध देख रहे हैं। यह तीन सम्बन्ध सभी को प्यारे हैं। आज विशेष त्रिमूर्ति शिव जयन्ती मनाने के उमंग से सभी भाग-भागकर पहुँच गये हैं। बाप को मुबारक देने आये हो वा बाप से मुबारक लेने आये हो? दोनों काम करने आये हो। जब नाम ही है शिव जयन्ती वा शिवरात्रि, तो त्रिमूर्ति क्या सिद्ध करता है? प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा क्या करते हैं? आप ब्राह्मणों की रचना रचते हैं ना। उन्हों की फिर पालना होती है। तो त्रिमूर्ति शब्द सिद्ध करता है कि बाप के साथ-साथ आप ब्राह्मण बच्चे भी साथ हैं। अकेला बाप क्या करेगा! इसलिए बाप की ...